Welcome to Bhagatpura, Dist. Sikar (Rajasthan)
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Jul 17, 2012

गांव का रा.उच्च प्राथमिक विद्यालय

देश की आजादी के बाद गांवों में शिक्षा का प्रसार करने के लिए सरकार ने गांवों में स्कूलें खोली उसी दौरान सन् 1953 में हमारे गांव भगतपुरा में भी प्राथमिक शिक्षा स्तर की "राजकीय प्राथमिक विद्यालय" की स्थापना की गयी| गांव के पास ही के कस्बे के रहने वाले श्री चांदमल जी शर्मा इस विद्यालय के प्रथम प्रधानाध्यापक बने| स्कूल बनने के पहले वर्ष में लगभग पच्चीस छात्रों ने शिक्षा ग्रहण करने की शुरुआत की|
विद्यालय की स्थापना के समय ही गांव वालों ने विद्यालय के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध करा दी थी उसी भूमि पर दो कमरे बनाकर स्कूल की शुरुआत की गयी|
मैंने भी गांव के इसी स्कूल से प्राथमिक तक शिक्षा ग्रहण की है हमारे समय तक स्कूल में तीन पक्के कमरे, एक बड़ा हाल जिसकी छत पर लोहे के चद्दर थे आज भी मुझे याद है| गर्मियों में स्कूल के बाहर एक बड़े खेजड़े के पेड़ के नीचे लगी हमारी क्लास के दृश्य अभी भी आँखों में समाये है|
1977 में जब राजस्थान में श्री भैरोंसिंह जी मुख्यमंत्री बने तब उनकी बनायीं योजना के तहत गांव की प्राथमिक स्कूल को प्रमोन्नत कर उच्च प्राथमिक स्तर तक किया गया| प्राथमिक शिक्षा के बाद गांव के छोटे छोटे बच्चों को पास ही के कस्बे खुड में आगे की शिक्षा के लिए चार किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था| जो प्रमोन्नत होने के बाद छात्रों को दूर जाने की समस्या से छुटकारा मिल गया|
गांव में दो प्राइवेट स्कूल होने के बाद भी गांव के इस सरकारी विद्यालय ने अपना महत्त्व नहीं खोया, आज भी इस विद्यालय में 115 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे है|
कक्षा आठवीं तक के छात्रों को पढाने के लिए यहाँ कुल छ: अध्यापक है| पड़ौसी गांव के निवासी श्री भंवरलाल वर्मा वर्तमान में इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक है जिनके निर्देशन में गांव की इस स्कूल का परीक्षा परिणाम पिछले पांच वर्षों में १००% रहा है|

यही नहीं वर्ष 2003 में इसी स्कूल के एक वरिष्ठ अध्यापक श्री सुल्ताना राम जी, निवासी गोठड़ा तगेलान को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित किया गया था|

पूर्व अध्यापकों श्री लक्ष्मण राम जी बेनीवाल,श्री इन्द्रसिंह जी शेखावत,श्री सोहनलाल जी काला,श्री मुरारीलाल जी शर्मा आदि ने भी अपने अपने कार्यकाल के दौरान इस स्कूल में शिक्षा स्तर को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देकर अपने कर्तव्य का पुरी तरह पालन किया|जिसे आज भी उनके छात्र याद करते है|

Mar 18, 2012

गांव की नवनिर्मित गौ-शाला

आज देश के पशुधन में से यदि किसी पशु की सबसे ज्यादा दुर्गति हो रही है तो वह है गौ-धन| देशी नस्ल की गायें जो ज्यादा दूध नहीं देती पशुपालकों को फायदेमंद नहीं लगती परिणाम स्वरूप पशुपालकों ने देशी गायों को छोड़ना शुरू कर दिया| और घर से निकाले जाने के बाद ऐसे गायें आवारा घूमने लगी आखिर उन्हें भी तो भोजन चाहिए सो भूखी गायें अपनी भूख मिटाने किसानों की खेतों में खड़ी फसलों पर आक्रमण करने लगी| परिणाम स्वरुप किसान भी अपनी फसलें गायों द्वारा उजाड़ने पर त्रस्त हुए|

हमारे गांव भगतपुरा में भी यही हुआ आस-पास के गांवों की छोड़ी गायों के झुण्ड ने किसानों की फसलों को नुक्सान पहुंचाकर किसानों की नींद हराम करदी|
गांव में हर वर्ष किसान किसी सुनी पड़ी हवेली में गायों को बंद कर वहां उनके लिए चारा डालकर अपनी फसलों को बचाने का अस्थाई उपाय अक्सर हर वर्ष करते रहते थे|

गांव के किसानों की मुसीबत और गायों को दुर्दशा से बचाने को आखिर गांव के समाजसेवी श्री रामनिवास मिश्रा पुत्र श्री जयकिशन जी मिश्रा ने गांव में एक गौ-शाला बनाने का निश्चय किया और उन्होंने गांव में एक गौ-शाला का बिना किसी की सहायता के निर्माण भी करा दिया और आज यह गौ-शाला सुचारू रूप से चल रही है सत्तर से अधिक गाये जो आवारा घुमती थी को इस गौ-शाला में आराम से रहने को आश्रय मिल गया है इस गौ-शाला के बनने के बाद जहाँ सत्तर से अधिक गायों की हालात में सुधार आया है वहीँ गाँव के कृषकों को भी सकून मिला है|

गांव के किसानों को गौ-शाला बनाने व इसे संचालित करने के लिए श्री रामनिवास मिश्रा का आभार मानते हुए इसके सञ्चालन में सक्रीय भागीदारी निभानी चाहिए साथ हर खेत से इन गायों के लिए हर वर्ष कम से कम एक गाड़ी चारा अवश्य भिजवाना चाहिए| इस गौ-शाला का सफल सञ्चालन ही गांव के किसानों के लिए फायदेमंद है|







भगतपुरा.कॉम इस शानदार गौ-शाला के निर्माण और संचालन के लिए श्री रामनिवास जी मिश्रा का हार्दिक आभार प्रकट करती है|

Jul 31, 2008

मेरा गांव भगतपुरा

भगतपुरा गांव राजस्थान के सीकर जिले में सीकर-जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीकर से 30km दूर खूड व लोसल के बीच स्थित एक पूर्ण विकसित आदर्श गांव है , जहाँ हिंदू धर्म की अनेक जातियाँ सोहार्दपूर्ण माहोल में निवास करती है जिनमे "शेखावत" राजपूतों का बाहुल्य है| भगतपुरा संवत १८१५ में खूड के कुं.गुलाब सिंघ जी व कुं नवल सिंघ जी ने बसाया था | शिक्षा के लिए गांव में तीन स्कूल स्थापित है साथ ही उच्च शिक्षा के लिए महज 1km की दूरी पर "बाबा खींवा दास महाविद्यालय" है,जहाँ गांव के युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करते है और दूर-दराज के छात्र भी भगतपुरा में रहकर इस महाविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर रहे है | गांव में आवागमन के साधनों की कोई कमी नही है साथ ही गांव में सभी रास्ते सीमेंट की सड़को से बने है | चिकित्सा सुविधा के लिए भी गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हे | रोजगार के लिए यहाँ कृषि कार्य के अलावा यहाँ के वासी भारत के विभिन्न शहरों के अलावा अमेरिका , इटली व संयुक्त राज्य अमीरात में भी बसे हुए हे| गेहूं,जौ,सरसों,प्याज,चना,बाजार,मोठ,मुंग,ग्वार,मूंगफली,तिल आदि की यहाँ के खेतों में भरपूर फसले होती है | शिव जी , ठाकुर जी , हनुमान जी ,बाबा रामदेव जी व माता जी के मन्दिर ग्रामवासियों की धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है |गांव के युवाओं ने विभिन्न क्षेत्रो के अलावा भारतीय सेना में गांव का नाम रोशन किया वहीं भगतपुरा में जन्मे श्री सौभाग्यसिंहजी शेखावत ने साहित्य जगत में अपना विशिष्ठ स्थान बनाया |
भारत के पूर्व उप राष्टपति स्व.श्री भैरोंसिंहजी ने अपनी राजनैतिक यात्रा की शुरुआत के लिए सबसे पहले चुनावी रणनीतिक बैठक भगतपुरा गांव में ही की थी