Jan 15, 2013
धूमधड़ाके से मनाया मकर सक्रांति पर्व
कल मकर सक्रांति का पर्व पुरे गांव में धूमधाम से मनाया गया| भगतपुरा से राजुल शेखावत ने बताया कि- कल गांव के सभी वर्गों के गांव वासियों के घरों में मकर सक्रांति का पर्व मनाने को सुबह ही तिल के लड्डू व मिठाइयाँ बनायीं गई| गांव की महिलाएं जहाँ पकवान बनाने में व्यस्त रही, वहीं गांव के युवाओं ने इस अवसर पर पतंगे उड़ाकर कर व संगीत की धुनों पर नाच यह पर्व मनाया|
गांव के सभी युवा ठाकुर फ़तेह सिंह जी की हवेली की छत पर सुबह छ: बजे ही एकत्र हो गए थे जहाँ उनके नाच गाने के लिए संगीत हेतु डीजे आदि की व्यवस्था अर्जुन सिंह, जोरावर सिंह, सुरेन्द्र सिंह व लोकेन्द्र सिंह सेवा आदि ने मिलकर कर रखी थी| जहाँ शाम छ: बजे तक गांव के युवा राजस्थानी संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ नाचते हुए मकर सक्रांति का पर्व मनाते रहे साथ ही कुछ युवा पतंगबाजी में व्यस्त रहे|ज्ञात हो मकर सक्रांति के पर्व पर शेखावाटी आँचल में पतंगे उड़ाने का विशेष चलन रहा है|
पतंग बाजी में भवानी सिंह शेखावत जहाँ दूसरों द्वारा उड़ाई पतंगे काटने में अव्वल रहा वहीं कटी पतंगे लूटने में भी अव्वल रहा|
आखिर शाम छ: बजे बाद अँधेरा होने पर दो लेम्प लगी पतंगे उड़ाकर युवाओं ने इस कार्यक्रम को समाप्त किया|
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सब कुछ जानकार अच्छा लगा और यादें भी ताज़ा हुई मगर एक बात जो ज़रा भी अच्छी नहीं लगी वह यह कि औरतों के लिए इस पवन अवसर पर भी रसोई का ही द्वार खुला रहा। भला इसमें उनको क्या आनंद मिला इस त्यौहार के आने का या मनाने का उनके लिए तो हर दिन कि तरह यह दिन भी यूं ही निकल गया ठीक उस गीत की तरह कि
ReplyDelete"किसी ने भी तो न देखा निगाह भर के मुझे गया फिर आज का दिन भी उदास करके मुझे"
यहाँ देखा का तात्पर्य उनकी भावनाओं की ओर ध्यान देने से है उन्हें निहारने से नहीं...