रोजगार के अलावा अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए भी गांवों से लोगों का पलायन जारी है| गांव में फ़ौज की नौकरी करने वाले ज्यादातर सैनिकों की बीबियाँ गांव के आस-पास के शहरों में अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए किराए के घरों में रहती है तो कई शहरों में अपने घर बनाकर गांव से पलायन ही कर जाती है| इस वजह से गांव में उनकी बड़ी बड़ी हवेलियाँ, मकान व खेत खिलहान सुने हो जाते है|
हमारे गांव के भी कई परिवार रोजगार व अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए गांव से पलायन कर गए उनकी सुनी पड़ी हवेलियाँ इस बात की पुष्टि करती है कि-"यदि गांव में रोजगार के उचित अवसरों के साथ यदि बच्चों के अच्छी शिक्षा व्यवस्था होती तो आज उन परिवारों को गांव से पलायन कर शहरों में विस्थापित नहीं होना पड़ता|
लेकिन अब गांव की परिस्थितियां बदली है, पहले की अपेक्षा गांव में रोजगार के साधन बढ़ें ही है और साथ ही शिक्षा के लिए भी पर्याप्त साधन बढ़ें है| आज गांव में दसवीं तक पढ़ाई के लिए अंग्रेजी माध्यम की प्राइवेट स्कुल संचालित है तो उसके बाद पास ही कस्बे लोसल में बड़ी संख्या में अच्छे स्कुल खुले है जिनकी बसें गांव में छात्रों को लेने के लिए आ जाती है साथ ही गांव से महज एक डेढ़ किलोमीटर दूर बाबा खिंवादास महाविद्यालय है जहाँ से छात्र आसानी से अपनी कालेज की पढ़ाई गांव में ही रहकर पूरी कर सकतें है|
गांव में व आस-पास के कस्बे में कई अच्छे स्कुल व कालेज होने के बावजूद गांव लोगों को अपने बच्चों को नई तकनीकि के साथ चलने हेतु कंप्यूटर शिक्षा के लिए सेंटर की आवश्यकता महसूस हो रही थी जिसे समझा गांव की ही एक होनहार बालिका सुश्री सोनम शेखावत ने|
सोनम शेखावत ने इस कमी को महसूस करते हुए खासकर बालिकाओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए गांव में अध्यापन कार्य से जुड़े रामकुमार कुमावत के साथ मिलकर "ब्राईट फ्यूचर कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर" की 19 अगस्त 2011 को स्थापना की| जिसमे कंप्यूटर शिक्षा से सम्बंधित कई विषय सफलता के साथ पढाये जाते है जैसे-RS-CIT(RKCL) ,DCA ,PGDCA,"o" Level ,photoshop, tally ,BCA आदि आदि|
आज सोनम शेखावत के इस कंप्यूटर सेंटर में साठ बच्चे व बालिकाएं कंप्यूटर शिक्षा ग्रहण कर रहे है, पढाने के लिए सोनम के साथ रामकुमार कुमावत भी जी जान से जुटे है| यह कंप्यूटर सेंटर सरकार से भी मान्यता प्राप्त है, यहाँ कई ऐसे कोर्स भी है जिन्हें पढ़ने वालों को सरकारी सहायता भी मिलती है|
इन दोनों के प्रयासों के चलते ही आज भगतपुरा गांव में छोटे छोटे बच्चे तक कंप्यूटर शिक्षा में पारंगत है व गांव से बच्चों को शिक्षा दिलवाने के नाम पर होने वाले शहरों की ओर पलायन में बहुत कमी आई है| साथ ही इसी वजह से आज गांव का कोई बच्चा ऐसा नहीं होगा जो इस भगतपुरा ब्लॉग को ना पढता हो|
बहुत ही सराहनीय प्रयास, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
ReplyDeleteglad to see such developments.
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